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एचआईवी पीड़ितों के लिए बनाया गया विशेष राशन कार्ड, ले रहे हैं बस में मुफ्त यात्रा का लाभ

एचआईवी और एड्स पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार अन्य लाभार्थियों की तरह चावल के साथ मुफ्त चीनी और नमक भी उपलब्ध कराती है।

बिलासपुर:  विश्व एड्स दिवस 1988 से प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को मनाया जाता है। सामाजिक सुरक्षा के रूप में जिले के एड्स पीड़ित मरीजों के लिए खाद्य विभाग द्वारा राशन कार्ड निःशुल्क बनाये जाते हैं। ये लोग भी आम नागरिकों की तरह प्रति माह 35 किलो चावल का लाभ उठा रहे हैं. एड्स पीड़ितों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से इस प्रकार की सुविधा शुरू की गई है। इसके अलावा, उन्हें बसों में यात्रा करने के लिए मुफ्त पास भी जारी किए जाते हैं। जिला अस्पताल के ओ.एस.टी सेंटर में मुफ्त में मेडिकल सुविधा भी दी जा रही है। पंजीकृत एड्स पीड़ित मरीज यहां प्रतिदिन दवाई लेने पहुंचते है।

एचआईवी और एड्स पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सरकार

अन्य लाभार्थियों की तरह चावल के साथ मुफ्त चीनी और नमक भी उपलब्ध कराती है। ताकि वे इससे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। शहर के एड्स पीड़ित अपने घर से ओएसटी सेंटर तक बसों से यात्रा कर सकते हैं। एचआईवी पीड़ितों को पहचान पत्र जारी किया गया है, जो ग्रीन कार्ड की तरह है।

इसमें एआरटी नोडल अधिकारी और आरटीओ के हस्ताक्षर भी होते हैं। कार्ड को ऐसा डिजाइन किया गया है कि उनकी पहचान उजागर नहीं हो सकें। इसके अलावा जिन लोगों के पास खुद का घर नहीं है। उन्हें शासन की ओर से सरकारी आवास भी उपलब्ध कराई गई है। इससे वे बेहतर जीवन गुजार रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम एड्स मरीजों के इलाज के लिए जुटी हुई है।

प्रत्येक दिन से लेकर हर माह सभी मरीजों की नियमित काउंसलिंग की जाती है

ताकि वे समय पर दवाई का सेवन करने की जानकारी लिया जा सके। जिससे उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि हो और आराम से वे जीवन यापन कर सके। गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच भी की जाती है। ताकि उनके आने वाला संतान सुरक्षित हो सकें। स्वास्थ्य विभाग की टीम जिले के गांव-गांव में जाकर लोगों को एड्य के लिए जन-जागरुकता कर रहे हैं। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को एचआईवी जांच करवाने के लिए प्रेरित किया जाता है।

कुपोषित की श्रेणी में हैं बच्चे

एचआईवी से पीड़ित महिलाओं के बच्चों को कुपोषित की श्रेणी में रखा गया है। इन्हें महिला एवं बाल विकास द्वारा कुपोषण योजना के तहत पोषण प्रदान किया जाता है। मितानिन और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं की मदद से बच्चों का विशेष ख्याल रखा जाता है। ताकि बच्चे इस गंभीर बीमारी की चपेट में न आएं. प्रतिदिन पौष्टिक आहार दें। बच्चों की माताओं को भी विशेष भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

डॉ. गायत्री बांधी, एड्स नियंत्रक, नोडल अधिकारी बिलासपुर एड्स की रोकथाम के लिए

राज्य शासन की गाइडलाइन के अनुसार कार्य किया जाता है। वहां एक सरकारी एचआईवी सेंटर है. जहां पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है. इसे रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच कराना जरूरी है और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं

India Edge News Desk

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